Happy teachers day (शिक्षक दिवस)

  शिक्षक का महत्व
जीवन में सफल होने के लिए शिक्षा आवश्यक है उसी प्रकार शिक्षक का होना भी आवश्यक है। माता-पिता बच्चे को जन्म देते हैं उनका स्थान कोई नहीं ले सकता , लेकिन शिक्षक ही है जिसे माता-पिता के बराबर दर्जा दिया जाता है। शिक्षक से प्राप्त ज्ञान और मार्गदर्शन से ही हम जीवन में सफल हो सकते हैं। एक शिक्षक अपना पूरा जीवन हमे ज्ञान और सही रास्ते का मार्गदर्शन करने में लगा देते हैं। शिक्षक दिवस सभी छात्रों के लिए बहुत महत्व  रखता है।

  शिक्षक दिवस
डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्णन के जन्म दिवस को 1962 से शिक्षक दिवस के रूप में मनाया जाता है। इन्होंने शिक्षा के क्षेत्र में विशिष्ट योगदान दिया है इसीलिए इनके सम्मान में जन्म दिवस पर शिक्षक दिवस मनाया जाता है।यह पूरे देश में छात्रों द्वारा बहुत उत्साह से मनाया जाता हैं। छात्र अपने शिक्षको के सम्मान में उपहार और भाषण देते हैं। स्कूल, कालेजों में शिक्षक दिवस पर कार्यक्रम आयोजित किये जाते हैं।इस दिन शिक्षकों को मान-सम्मान देकर उनके काम की सराहना की जाती है। वहीं राष्ट्रीय स्तर पर शिक्षक दिवस के दिन शिक्षकों को उनके कार्य के लिए राष्ट्रीय शिक्षक पुरस्कार से नवाजा जाता है। यह पुरस्कार हर वर्ष देश के राष्ट्रपति द्वारा दिया जाता है। दुनिया के सौ से अधिक देशो म शिक्षक दिवस अलग-अलग तिथियों पर मनाया जाता है। विश्व शिक्षक दिवस 5 अक्टूबर को मनाया जाता है।

  डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्णन
भारत के भूतपूर्व राष्ट्रपति डॉ सर्वपल्लीपल्ली राधाकृष्णन का जन्म 5 सितंबर 1888 में तमिलनाडु के तिरुतनि गांव के एक गरीब परिवार में हुआ था। डॉ सर्वपल्ली् राधाकृष्णन आर्थिक रूप से कमजोर होने के बावजूद पढ़ाई-लिखाई में उनकी काफी रुचि थी और स्वामी विवेकानंद से ये काफी प्रभावित थे। प्रारम्भिक शिक्षा क्रिश्चियन मिशनरी संस्था लुथर्न मिशन स्कूल में हुई और मद्रास क्रिश्चियन कॉलेज से उन्होंने पढ़ाई पूरी की।1916 में इन्होंने दर्शन शास्त्र में एम.ए किया और मद्रास रेजीडेंसी कॉलेज में इसी विषय के सहायक अध्यापक का पद संभाला। 16 वर्ष की आयु में इनका विवाह सिवाकामु के साथ हो गया था, इनके पांच पुत्र एक पुत्री थी। इन्होंने कई विश्वविद्यालयों में शिक्षण कार्य किया। इन्होंने अपने जीवन के 40 वर्ष एक शिक्षक के रूप में व्यतीत किया। सर्वपल्ली् राधाकृष्णन एक महान दार्शनिक और शिक्षक थे।1949 से 1952 तक ये सोवियत संघ के भारत के राजदूत रहे। उसके बाद इन्हें उपराष्ट्रपति नियुक्त किया गया, डॉ राजेन्द्र प्रसाद का कार्यकाल 1962 ई० में समाप्त होने के बाद इनको भारत का दूसरा राष्ट्रपति बनाया गया। शिक्षा और राजनीति में विशिष्ट योगदान के लिए राधाकृष्णन को वर्ष 1954 में भारत के सव्रोच्च सम्मान भारत रत्न से सम्मानित किया गया।17 अप्रैल 1975 में लंबे समय तक बीमार रहने के बाद चेन्नई में इनका निधन हो गया।

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